हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम Moses (PBUH)
मूसा (Moses) सभी इब्राहिमी धर्मों में एक प्रमुख नबी (ईश्वरीय सन्देशवाहक) हैं । ख़ास तौर पर वो यहूदी धर्म के संस्थापक माने जाते हैं । बाइबल में हज़रत मूसा की कहानी दी गयी है, जिसके मुताबिक मिस्र के फ़राओ के ज़माने में जन्मे मूसा यहूदी माता-पिता के की औलाद थे पर मौत के डर से उनको उनकी माँ ने नील नदी में बहा दिया। उनको फिर फ़राओ की पत्नी ने पाला और मूसा एक मिस्री राजकुमार बने । बाद में मूसा को मालूम हुआ कि वो यहूदी हैं और उनका यहूदी राष्ट्र (जिसको फरओ ने ग़ुलाम बना लिया था) अत्याचार सह रहा है । मूसा का एक पहाड़ पर परमेश्वर से साक्षात्कार हुआ।
सोने का बछड़ा बनाने और उसकी पूजा करने से दोषमुक्ति को क़ुरान की सूरा ताहा के [90-94] आयतों में देखा जा सकता है:
"इससे पहले ही हारून ने उनसे कहा था: "ऐ मेरे लोगों [इस्राएल के बच्चे] तुम्हारा इम्तिहान इसी में है: वास्तव में तुम्हारे मालिक (अल्लाह) हैं सबसे ज्यादा दयालु (रहमदिल); इसलिए मेरे अनुगामी बनो और मेरे आदेशों का अनुपालन करो" (90) उन्होंने कहा: "हम इस पंथ का त्याग नहीं करेंगे, लेकिन हम तब तक खुद को इसके लिए समर्पित कर देंगे जब तक कि मूसा वापस नहीं आते." (91) (मूसा) ने कहा: "हे हारून! किस बात ने तुम्हें पीछे कर दिया? (92) जबकि तुमने देखा कि वे गलत राह पर जा रहे थे. क्या तुमने तब मेरे आदेश की अवज्ञा की ?" (93) (हारून) ने जाब दिया: "ऐ मेरी मां के बेटे! (मुझे) मेरी दाढ़ी से न पकड़ो और न ही, मेरे सिर के (केशों) से! सचमुच मुझे इस बात का डर था कि आप कहीं यह न कहें कि "तू ने इस्राएल के बच्चों के बीच एक विभाजन खड़ा कर दिया है, और तू मेरे वचन का सम्मान नहीं करता है." (94)"
बाद में, अल्लाह ने मूसा से कहा कि उसके लोगों ने अपने आप को पाप में लिप्त कर लिया है, एवं उन्होंने उन्हें नष्ट कर देने की योजना बनाई है इस्राएलियों पर प्लेग की महामारी का आक्रमण हो गया. ईश्वर के अनुसार, एक दिन वे अवश्य इस्राएलियों के पाप लिए उनके पास आएंगे.
अल्लाह की मदद से उन्होंने फ़राओ को हराकर यहूदियों को आज़ाद कराया और मिस्र से एक नयी भूमि इस्राइल पहुँचाया । इसके बाद मूसा ने इस्राइल को अल्लाह द्वारा मिले "दस आदेश" दिये जो आज भी यहूदी धर्म का प्रमुख स्तम्भ है ।
1. माता-पिता का आदर करो
2. हत्या न करो
3.व्यभिचार न करो
4. चोरी न करो
5. झूठी गवाही न दो
६. एक ही ईश्वर है
७. छह दिन काम एक दिन आराम करो.
८.परस्त्री के पास न जाओ
9.दास, दासी और पशुओं की रक्षा करो
10. लालच मत करो
यहूदी धर्म के प्रमुख उपदेश:
यहूदी धर्म में धर्मानुयायियों के लिए कुछ उपदेश दिए गए हैं जो कि इस प्रकार हैं :
1. किसी पर अन्याय मत करो।
2. किसी का शोषण मत करो।
3. किसी से ब्याज मत लो, कम नफा लो।
4. किसी को भी मत सताओ।
5. गुलामों को गुलामी से मुक्त करो।
6. सदाचार का पालन करो।
7. लालच मत करो, झूठ मत बोलो।
8. ईश्वर सबसे बड़ा है, ईश्वर से प्रेम करो।
9. अपने भाई एवं सबका हित करो, मन वचन से कर्म करो।
10. अल्लाह ही ईश्वर है, उनका आदेश मानो।
11. प्रेम, करुणा, सत्य, ब्रह्मचर्य, श्रमनिष्ठ, दु:खी की सेवा सदाचार अपनाओ ये यहोबा ने कहा है।
यहूदी धर्म द्वारा बताई सात बुराइयां
1. घमंड से चढ़ी आंखें।
2. झूठ बोलने वाली जीभ।
3. निर्दोष का खून बहाने वाले हाथ।
4. अनर्थ कल्पना करने वाला मन।
5. बुराई की ओर बढऩे वाले पैर।
6. भाईयों के बीच फूट डालने वाले मानव।
7. झूठ बोलने वाला गवाह।
मूसा के उपदेशों में दो बातें मुख्य हैं : एक-अन्य देवी देवताओं की पूजा को छोड़कर एक निराकार ईश्वर की उपासना और दूसरी सदाचार के दस नियमों का पालन।
- तौरात के अध्याय व्यवस्था विवरण 18 :18-19 में आया है कि "हे मूसा! मैं बनी इस्राईल के लिए उनके भाईयों ही में से तेरे समान एक नबी बनाऊँगा और अपने वचन (आदेश) को उसके मुँह में रख दूँगा। और वह उन से वही बात कहेगा जिसका मैं उसे आदेश दूँगा। जो आदमी उस नबी की बात नहीं मानेगा जो मेरे नाम पर बोलेगा तो मैं उस से और उसके क़बीले से इंतिक़ाम लूँगा।" ये शब्द आज तक उन की किताबों में मौजूद हैं, और उनके कथन "उनके भाईयों में से" यदि इस से अभिप्राय यह होता कि उन्हीं में से अर्थात् बनी इस्राईल में से होता तो वह इस प्रकार कहते कि: मैं उन्हीं में से उन के लिए एक नबी खड़ा करूँगा, जबकि उनके भाईयों में से कहा हैं जिसका मतलब है कि इसमाईल के बेटों में से।
- यह कथन पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अलावा किसी और पर लागू नहीं होता है।