Friday 19 February 2016

नमाज़ से सुरु है जिंदगी नमाज़ पर ख़तम

अस्सलामु अलैकुम बिस्मिलाहिर्रहम्नेरहिम
चलो मस्जिद में चलते हे कुछ इबादत-ऐ-खुदा करले..
कमबख्त इश्क इन्सान से हो सकता है तो फिर खुदा से क्यों नही...

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