Saturday 20 February 2016

मैं बात कर रहा हूँ इस्लाम के आख़री नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम°)

हिन्दू/मुस्लिम सभी भाई इस पर गौर करें-
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मैं बात कर रहा हूँ इस्लाम के आख़री नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम°)की.
आप(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम°)ने औरतों के हक़ में उस वक़्त आवाज़ उठाई जिस दौर में बेटियों को जिंदा दफना दिया जाता था।और विधवाओं को जीने तक का अधिकार न था,हाँ ये वही मुहम्मद
(सल्लल्लाहु°अलयही °वसल्लम°) हैं,जिन्होंने एक गरीब नीग्रो बिलाल (रजियल्लाहु अन्हु ) को अपने गले से लगाया,
अपने कंधों पर बैठाया,
और इस्लाम का पहला
मुअज़्ज़िन मुक़र्रर किया....
वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम)
जिन्होंने कहा की मज़दूर का मेहनताना उसका पसीना सूखने से पहले अदा करो।
मज़दूर पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ न डालो,यहाँ तक कि काम में मज़दूर का हाथ बंटाओ....
वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम°)
जिन्होंने कहा की-वो इंसान मुसलमान नहीं हो सकता जिसका पड़ोसी भूखा
सोये,चाहे वो किसी भी मज़हब का हो
वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम°)
जिन्होंने कहा कि अगर किसी ग़ैर मुस्लिम पर
किसी ने ज़ुल्म किया तो अल्लाह की अदालत में वो खुद उस ग़ैर मुस्लिम की वक़ालत करेंगे...
वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम°)
जिन्होंने अपने ऊपर कूड़ा फेंकने वाली बुज़ुर्ग औरत का जवाब हमेशा मुस्कुरा कर दिया और
उसके बीमार हो जाने पर ख़ुद खैरियत पूछने जाते हैं....
हाँ वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम°)
जिन्होंने कहा की दूसरे मज़हब का मज़ाक न बनाओ...
वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम°)
जिन्होंने जंग के भी आदाब तय किये कि सिर्फ अपने बचाव में ही हथियार उठाओ...
बच्चों, बूढ़ों और औरतों पर हमला न करो
बल्कि पहले उन्हें किसी महफूज़ जगह पहुँचा दो...
यहाँ तक कि पेड़ पौधों को भी नुक़सान ना पहुंचाने की
हिदायत दी.उस अज़ीमुश्शान शख्सियत के बारे में लिखते-लिखते क़लम थक जायेगी मगर उसकी शान
कभी बयान न हो पायेगी...उन पर हमारी जान क़ुर्बान....
आजकल हिन्दू / ग़ैर-मुस्लिम भाई बहुत परेशान रहते हैं
इस्लाम को लेकर.... उनको बताना चाहुंगा कि
अगर कोई इन्सान ग़लती करता है तो वो इन्सान बुरा होता है उसका धर्म/मज़हब नहीं....
21 वीं सदी मे बहुत ऐसे लोग हैं जो दुनिया मे इतना मगन हो गये हैं कि जिनको खुद इस्लाम की नाॅलेज नहीं है तो वो बच्चों को क्या इस्लाम के बारे मै बतायेंगे..
याद रखो... इस्लाम 100% पाक ओर साफ मज़हब है..
किसी के कहने सुनने पर उसे बुरा ना कहो...और अब भी अगर आपके दिमाग़ में इस्लाम को लेकर
कोई ग़लतफ़हमी है तो आप खुद मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम) की जीवनी(लाइफ हिस्ट्री)
पढ़कर देखें...आपको ज़र्रा (प्वाइंट) बराबर भी ग़लती नज़र नहीं आयेगी..!!!
अगर कोई मुस्लिम ग़लती/बत्तमीज़ी करता दिखे तो आप उससे सिर्फ़ इतना बोलना कि क्या नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयहि°वसल्लम) ने आपको यही सिखाया है???
तुमको अल्लाह का ज़रा भी डर नहीं.????
सच्चा मुसलमान होगा तो शर्म से पानी पानी होकर तौबा कर लेगा..!!!!
प्लीज़ आपसे रिक्वेस्ट है कि इस मैसेज को फारवर्ड
कर के इस्लाम के लिये जो लोगों के दिल-ओ-दिमाग़
मे नाइत्तिफाक़ी/बुराई है उसे दूर करने में हमारी
मदद करें...
शुक्रिया ।

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