हुज़ूर नबी-ए-अकरम सल अल्लाहू अलैहि वआलेही वसल्लम ने फ़रमाया: एक मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है, ना वो उस पर ज़ुल्म करता है, और ना उसे बे-यार-ओ-मददगार छोड़ता है। जो शख़्स अपने किसी (मुसलमान) भाई की हाजत-रवाई करता है, अल्लाह तआला उसकी हाजत-रवाई फ़रमाता है। और जो शख़्स किसी मुसलमान की (दुनियावी) मुश्किल हल करता है, अल्लाह तआला उसकी क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल हल फ़रमाएगा, और जो शख़्स किसी मुसलमान की पर्दापोशी करता है, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी पर्दापोशी करेगा।
सहीह बुख़ारी, किताबुल मज़ालिम, बाब ला यज़लिमू अल मुस्लिम अल मुस्लिमू वल असलमा, 2 : 862, रक़म : 2310,
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