Friday 4 March 2016

याजूज माजूज/yajuj Majuj


बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम.
किस्सा याजूज माजूज।
दज्जाल के खात्मे के बाद हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को अल्लाह की तरफ़ से हुक्म होगा ऐ ईसा! तुम सारे मुसलमानों को कोहेतूर पर ले जाओ...। (कोहेतूर जो अरब के एक पहाड़ का नाम है...।)
अल्लाह तआला का फ़रमान होगा: अब हम अपनी ऐसी मखलूक को निकालने वाले हैं कि किसी के अंदर उनसे मुक़ाबले की ताक़त नही है... वो याजूज माजूज हैं...।

याजूज माजूज हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की नस्ल से हैं, हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के शुरुआती तीन बेटे हाम, शाम, याफिज़ उनमें से एक बेटे की औलाद हैं याजूज माजूज...।

ये इंतिहाई जाहिल, अनपढ़, काफ़िर, खूंखार, जंगली किस्म के लोग हैं ये दुनिया के किसी कोने में आज भी आबाद हैं... यकीनी तौर पर कोई नहीं बता सकता ये कहाँ आबाद हैं...।

साइंसदानो ने बहुत खोज की लेकिन वो इनका पता नहीं लगा सके, और कभी पता लगा भी नहीं सकते क्योंकि अल्लाह तआला इनको कयामत के करीब ज़ाहिर करेगा...। हज़रत जुलकरनैन जो उस वक़्त के बादशाह थे जिनकी बादशाहत को कुरआन ने ब्यान किया है उनकी रियाया (प्रजा) ने याजूज माजूज के जुल्म-ओ-सितम और कत्ल-ओ-गारी की अपने बादशाह से शिकायत की और तब हज़रत जुलकरनैन ने अपनी रियाया की मदद से याजूज माजूज की पूरी कौम को एक दिवार के पीछे बंद कर दिया... याजूज माजूज की ताकत को मद्दे नज़र रखते हुए बादशाह जुलकरनैन ने दिवार को तांबे के लुआब से बनबाया...।

उधर जब ईसा अलैहिस्सलाम सारे मुसलमानों को लेकर कोहेतूर पर पहुंच जाएंगे तभी अल्लाह पाक़ याजूज माजूज को आज़ाद कर देगा आज़ाद होते ही ये कौम सारी जमीन पर फैल जाएंगी फिर लूट, मार, कत्लो, गारत, हलाकत, तबाही, बर्बादी शुरू कर देगी...।

जब याजूज माज़ूज़ की फौज़ की पहली टुकड़ी मुल्क शाम के वहर ऐ तवरिया (मुल्क शाम की नदी) के पास से गुज़रेगी तो दरिया का सारा पानी पी जाएगी... जबकि वहर ऐ तवरिया जो दरिया है उसकी लम्बाई तकरीबन 10 मील है...। पहली टुकड़ी दरिया का सारा पानी पी के दरिया को खुश्क कर देगी, जब पीछे वाले लोग दरिया के पास पहुंचेगे तो एक दूसरे से कहेंगे यहाँ किसी ज़माने में पानी होगा,  जबकि वो इस बात से गाफ़िल होंगे कि अभी अभी हमारे भाईयों ने पानी पिया है...। फिर एक दूसरे से कहेंगे हमने ज़मीन की सारी मखलूक को मार दिया अब जो असमान में मखलूक है उसे भी मारना चाहिये, फिर ये लोग जबल ए खमर पहुंच जायेंगे... जबल ए खमर बैतूल मुकद्दस के करीब एक पहाड़ का नाम है, वहां खड़े होकर ये आसमानों की तरफ़ तीर चलाएंगे तीर जब वापस आएगा तो वो तीर खून में सना होगा,  याजूज माजूज बड़े खुश होंगे कि आसमान की मखलूक को भी मार दिया...।  अल्लाह जाने वो तीर परिंदों के खून से सने होंगे या अल्लाह की कुदरत से उनपर खून लगेगा बहरहाल याजूज माजूज ख़ुशी से झूम उठेंगे...।

उधर जो ईसा अलैहिस्सलाम मुसलमानों के साथ कोहेतूर पर होंगे वहां खाने पीने की चीजों का ये आलम हो जाएगा की एक भेड़ के सर की कीमत 100 दीनार से ज्यादा होगी, क्योंकि ज़मीन पर उतरने का मौक़ा नही होगा खाने पीने की चीज़े नायाब हो जाएंगी...।
फिर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और सारे मुसलमान मिलकर अल्लाह से दुआ करेंगे कि ऐ अल्लाह! हमें याजूज माजूज के फितने से निजात दिला... अल्लाह दुआ को कुबूल कर लेगा और याजूज माजूज की तरफ़ नवफ़ की बीमारी भेज देगा... नवफ़ की बीमारी जो आज कल जानवरों में हो जाती है जिससे जानवर की गर्दन में कीड़े पढ़ने लगते हैं और जानवर मर जाता है...।

मज़ीद मालूमात के लिए पढ़े मुफ़्ती अब्दुर रऊफ सखरवी दारुल इफ्ता करांची की किताब "(याजूज माजूज)"

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